राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण 2005 में किसानों की वर्तमान स्थिति के बारे में चौंकाने वाले तथ्य दिये गये हैं। सर्वेक्षण के अनुसार भारत में किसान परिवारों का औसत मासिक खर्च वर्ष 2003 में केवल 503 रुपये था जो गरीबी रेखा के सरकारी पैमाने से मात्र 75 रुपये अधिक है। यह छोटी सी राशि भी सबसे खुशहाल और सबसे पिछड़े इलाकों तथा सबसे धनी और सबसे गरीब किसान परिवारों का औसत है जो गरीबी अमीरी के बीच की विराट खाई को छुपाता है। इसमें केरल (901 रुपये) और पंजाब (828 रुपये) जैसे अपेक्षतया समृद्ध इलाके तथा गरीबी की सीमा रेखा (428 रुपये) से भी कम औसत खर्च वाले बिहार (404 रुपये) और उड़ीसा (342 रुपये) जैसे उपेक्षित इलाके, सभी एक साथ शामिल किये गये हैं। मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार और उड़ीसा के 20% से भी अधिक लोग 225 रुपये प्रतिमाह पर गुजारा करते हैं जो गरीबी के सरकारी पैमाने से लगभग आधा है। 7 रुपये प्रतिदिन पर लोग कैसे परिवार चला रहे हैं, जरा सोचिये!
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