सोमवार, 15 अप्रैल 2013

लेख लिखने के लिए 10 आसान चरणों का पालन कीजिये।

1. शोध: लेख लिखने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अपने विषय पर शोध कीजिये। विषय का विशेषज्ञ बनने के लिए इंटरनेट, शैक्षिक डेटाबेस, और पुस्तकालय का उपयोग करके तथ्यों को जुटाइये और नोट्स लीजिये। उस विषय में खुद को तल्लीन कर लीजिये।


2. विश्लेषण: अब जब आपको विषय का अच्छा ज्ञान हो गया है, लेख के तर्कों का विश्लेषण शुरू कीजिये। विषय को परिभाषित करें, घटना के कारण, सबूत और तर्क को समझिये और पुराने लेखों के तर्कों की कमजोरियों और ताकतों पर ध्यान दीजिये। लेख में पूंजीवादी विचार अन्तर्निहित होगा। उसे एक-एक कर काटने पर हमारे नए तर्क विकसित होंगे। इसके लिए उस विषय पर प्रगतिशील साहित्यकारों के लेख पढ़ने चाहिए।

3. बुद्धि मंथन क्रिया:  लेख को अच्छा बनाने के लिए प्रतिभा के साथ मेंहनत की जरूरत पड़ती है। इसलिए मेंहनत से जी नहीं चुराना चाहिए। खुद से दर्जनों प्रश्न पूछें और उनका जवाब ढूंढें। अपने साथ हमेशा पेन और पेपर रखें और नए-नए आइडिया को नोट करते रहें।

4. थीसिस या पूर्व पक्ष विषय: लेख का सबसे अच्छा विचार उठाइये और उसे एक ठोस तथ्य के साथ नोट कर लीजिये। पूरा लेख उसी के आसपास लिखना चाहिए। आपका थीसिस वह बिंदु होता है जिससे पाठक समझ जाए कि आप उसे कहाँ ले जा रहे हैं। एक संक्षिप्त वाक्य में इसे लिखा जा सकता है। यह व्यावहारिक रूप से असंभव है कि एक स्पष्ट थीसिस के बिना एक अच्छा लेख लिख लिया जाए।

5. रूपरेखा या ढांचा: जैसे एक चित्रकार पेन्सिल से अपने चित्र का पहले ढांचा बनाता है और उसके बाद उसमें रंग भरता है। उसी तरह आप भी लेख की रूपरेखा बना लीजिए। हर पैराग्राफ के लिए पैराग्राफ का सबसे मुख्य वाक्य लिख लीजिये। पैराग्राफ के अन्दर बिन्दुवार वाक्यों को लिखिए। इन वाक्यों को एक तार्किक क्रम में सजा लीजिये। इसके बाद सभी पैराग्राफ को एक तार्किक क्रम में सजा लीजिये। सभी पैराग्राफ संतुलित और व्यवस्थित होने चाहिये।

6. भूमिका या परिचय: अब लेख लिखने के लिए बैठ जाइये। परिचय पाठक का ध्यान खींचने वाला और लेख का नेतृत्व व मुद्दा सेट करने वाला होना चाहिए। शीर्षक और पहला पैराग्राफ पाठक की दृष्टि में लेख का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है क्योंकि पहला पैराग्राफ या तो पाठक को लेख पढने के लिये बाँध लेगा या उसे भगा देगा।  बेशक आपका शिक्षक, जो 'लेखन' सिखाने के लिए आपसे वेतन ले रहा है, आप चाहे जैसा लिखें, वह जरूर पढेगा। लेकिन यह ध्यान रहे कि अन्य पाठक अकेले शीर्षक पर नजर डालकर आपका लेख पढने से इनकार कर सकते हैं।

7. पैराग्राफ: प्रत्येक पैराग्राफ में केवल एक विचार होता है जो लेख का समर्थन करता है। ध्यान केंद्रित करने वाले विषय वाक्य के साथ पैराग्राफ शुरू करना चाहिए। सबूत देकर अपने दावे का समर्थन करना चाहिए। अपने विचारों की स्पष्ट और असरदार शब्दों में व्याख्या करनी चाहिए। अपने पाठक से बात करने वाली शैली में लेख लिखना चाहिए। लेख लिखने के बजाय लेख में बतियाना चाहिए।

8. निष्कर्ष:  पाठक पर निष्कर्ष कभी थोपना नहीं चाहिए। पाठक को खुद निष्कर्ष निकालने दीजिये। विनम्रता से लेख को एक निर्णायक वाक्य के  जरिये समाप्त कर दीजिये। यादगार वाक्य, उद्धरण, दिलचस्प मोड़, तर्क या किसी कार्रवाई के लिए आह्वान के साथ लेख ख़त्म कर दीजिये। 

9. लेख की शैली: लेख की भाषा और विषयवस्तु के अनुसार लेखन शैली प्रभावशाली होनी चाहिए। इसके लिए अपनी नयी शैली विकसित की जा सकती है या हिंदी के अच्छे लेखक जैसे रामचंद्र शुक्ल और  हजारी प्रसाद द्विवेदी के लेख पढने चहिये, जिससे अच्छी शैली सिखने में मदद मिले।

10. भाषा: भाषा व्याकरण सम्मत होनी चाहिए और उसे अंत में सुधार और संवार लें। वाक्य प्रवाह बना लें, आंतरिक लय पैदा करें, महत्वपूर्ण भाग पर जोर बढ़ा दें, अवांछित शब्द, वाक्य और पैराग्राफ को निकाल दें। कई बार खुद पढ़ें और अपने दोस्तों के बीच पढ़कर अपनी आलोचना को आमंत्रित करें। लेख में अनैतिक विचार, अपशब्द और असंवैधानिक बातों का इस्तेमाल न करें। हिंदी भाषा और साहित्य की गरिमा बनाए रखें।

आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण कदम: अभ्यास, अभ्यास, और अभ्यास।


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