गुरुवार, 28 मार्च 2013

मोहक विज्ञापन- चेतना को कैद और कुंद करने की साजिश


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विक्रम प्रताप

विज्ञापन सभी जगह है। रात के अँधेरे में बहुमंजिली इमारतों पर चमकते विशालकाय बोर्ड मेंसुन्दर पोशाकों पर छपेहमारे तन से लिपटेअखबारों के पन्नों पर पटे-पड़ेटीवी में कार्यक्रमों के दौरान खीर में कंकड़ की तरह हर निवाले मेंकम्पनियों के विज्ञापन कहीं भीकभी भी हमें मुँह चिढ़ाते रहते हैं। हमारी जिंदगी के हर मोड़ पर इनकी दखलंदाजी होती है। मीडिया की गिद्ध  दृष्टि हमेशा हमारा पीछा करती है। ताज्जुब यह है कि हम पर पकड़ बनाने वाली कम्पनियों के विज्ञापन हमें अपना सा लगती हैं। हम अपने पसंदीदा ब्राण्ड की तौहीन बर्दाश्त नहीं कर पाते। कई बार यह दोस्तों के बीच तू-तूमैं-मैं का कारण बन जाता है। आज पूरी दुनिया एक बाजार में बदल चुकी है। इसकी मार से बचना आज हमारे लिए असम्भव-सा हो गया है। किसी कम्पनी के माल का ग्राहक मात्र बन जाने से खुद को बचा पाना आज बहुत ही कठिन हो गया है। यही तो विज्ञापन का कमाल है।

गुरुवार, 14 मार्च 2013

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट


जलवायु परिवर्तन 
और  
पर्यावरण संकट

कौन है इसका जिम्मेदार?

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

ह्यूगो शावेज के साथ मुलाकातें

(वर्षों पहले अमरीका के मार्क्सवादी विचारक ऐलन वुड्स शावेज से मिलने वेनेजुएला गए। लौटकर उन्होंने अपने इस अनुभव को एक लेख का विषय बनाया। कई मामलों में हम ऐलन वुड्स की  बातों से असहमत हो सकते हैं लेकिन यह लेख अब ऐतिहासिक दस्तावेज बन चुका  है जिससे न केवल शावेज के करिश्माई व्यक्तित्व का पता चलता है बल्कि वेनेजुएला के समाज की भी एक झलक मिलाती है। इस शानदार लेख का अनुवाद यहाँ दिया जा रहा है।)
-ऐलन वुड्स (लन्दन, 29 अप्रैल, 2004)
जैसा कि मार्क्सिस्ट डॉट कॉम के पाठक पहले से ही जानते होंगे, मैं पिछले सप्ताह वेनेजुएला की क्रान्ति के समर्थन में आयोजित द्वितीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में शरीक होने के लिए काराकास गया था। यह सम्मेलन अप्रैल, 2002 में किये गये प्रतिक्रान्ति के प्रयासों को विफल किये जाने की दूसरी जयन्ती पर आयोजित किया गया था। व्यस्तता भरे इस एक सप्ताह के दौरान मैंने कई सभाओं को सम्बोधित किया जिनमें मुख्य रूप से बोलिवेरियाई आन्दोलन के कार्यकर्ताओं और वेनेजुएला की क्रान्ति के समर्थकों, मजदूरों और गरीब जनता के बीच मैंने मार्क्सवाद का पक्ष प्रस्तुत किया। मैं 12 अप्रैल की विशाल रैली में शामिल हुआ, जहाँ मुझे लोगों की उस क्रान्तिकारी सरगर्मी को देखने का प्रत्यक्ष मौका मिला जो जनता को प्रेरणा देती है और जिसने प्रतिक्रान्ति को उसी जगह रोक देने में उन्हें समर्थ बनाया था।
मुझे बोल्वेरियाई गणतन्त्र के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज से मिलने और बात करने का अवसर भी मिला। एक लेखक और मार्क्सवादी इतिहासकार होने के नाते मैं इतिहास बनाने वाले पुरुषों और स्त्रियों के बारे में तो लिखता ही रहता हूँ लेकिन ऐतिहासिक प्रक्रिया के किसी नायक को इतने करीब से देखने, उससे सवाल पूछने और केवल अखबारी रिर्पोटों के आधार पर ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर उसके बारे में एक राय बनाने का मौका रोज-रोज नहीं मिलता।
मैं अपने विषय पर बात शुरू करने के पहले कुछ बातें स्पष्ट करना चाहूँगा। मैं वेनेजुएला की क्रान्ति को एक बाहरी दर्शक की नजर से नहीं देखता और एक चाटुकार के नजरिये से तो कतई नहीं। मैं उसे एक क्रान्तिकारी की नजर से देखता हूँ। चाटुकारिता क्रान्ति की दुश्मन है। क्रान्तियों के लिए सर्वोपरि जरूरत है सच्चाई को जानना। ‘‘क्रान्तिकारी पर्यटन’’ की परिघटना से मुझे सख्त घृणा है खास करके वेनेजुएला के मामले में इसके लिए कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि यहाँ क्रान्ति खतरों से घिरी हुई है। जो लोग ऐसे मूर्खतापूर्ण भाषण देते रहते हैं जिनमें बोलिवेरियाई क्रान्ति के चमत्कारों पर तो बराबर जोर दिया जाता है लेकिन उसके सामने आज भी मौजूद खतरों के सुविधाजनक ढंग से नजरन्दाज कर दिया जाता है, वे क्रान्ति के असली दोस्त नहीं हैं उन पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता।
किसी भी सफल क्रान्ति के कई; तथाकथित ‘दोस्त’ होते हैं । शहद की ओर जैसे मक्खियाँ आकर्षित होती हैं वैसे ही सत्ता के प्रति आकर्षित होने वाले वे मध्यवर्गीय तत्व, जो तब तक क्रान्ति का गुणगान करने के लिए तैयार रहते हैं जब तक वह सत्तासीन है लेकिन उसे दुश्मनों से बचाने के लिए कोई उपयोगी काम नहीं करते, जो उसका तख्ता पलट होने पर चन्द घड़ियाली आँसू बहाते हैं लेकिन दूसरे ही दिन से जिन्दगी के अगले कार्यक्रम को लागू करने में मगन हो जाते हैं। ऐसे ‘दोस्त’ दो टके के होते हैं। असली दोस्त वह नहीं है जो आपको हमेशा यह बताता रहे कि आप सही हैं असली दोस्त वह है जो आपसे सीधे नजर मिलाकर यह कहने में नहीं डरता कि आप गलत हैं।
वेनेजुएला की क्रान्ति के सबसे अच्छे दोस्त बल्कि एकमात्र वास्तविक दोस्त हैं दुनिया का मजदूर वर्ग और उसके सबसे सचेत प्रतिनिधि यानि मार्क्सवादी क्रान्तिकारी। यही वे लोग हैं जो वेनेजुएला की क्रान्ति को उसके दुश्मनों से बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देंगे। लेकिन साथ-साथ क्रान्ति के ये सच्चे दोस्त, उसके ईमानदार और वफादार दोस्त, अपने मन की बात हमेशा निडर होकर कहेंगे। जहाँ हमें लगेगा कि सही रास्ता अपनाया जा रहा है, वहाँ हम प्रशंसा करेंगे और जहाँ  हमें लगेगा कि गलतियाँ की जा रही हैं, वहाँ हम दोस्ताना मगर दृढ़ता से आलोचना रखेंगे। सच्चे क्रान्तिकारियों और अन्तरराष्ट्रवादियों से आखिर इससे भिन्न किस प्रकार के व्यवहार की उम्मीद की जानी चाहिए?
वेनेजुएला में मेरे हर भाषण के दौरान, जिसमें टी.वी. पर दिये गये साक्षात्कार भी शामिल हैं, मुझसे बार-बार यह पूछा गया कि वेनेजुएला की क्रान्ति के बारे में मेरी क्या राय है? मेरा जवाब इस प्रकार था ‘‘ आपकी क्रान्ति दुनिया के मजदूरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, आपने चमत्कारिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, हालाँकि इस क्रान्ति की संचालक शक्ति मजदूर वर्ग और जनसाधारण हैं और उसकी भावी सफलता का राज भी यही है फिर भी अभी यह क्रान्ति पूर्णता तक नहीं पहुँची है और पहुँच भी नहीं सकती, जब तक कि बैंकरों और पूँजीपतियों की आर्थिक सत्ता को पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जाता, यह करने के लिए जनता को हथियारों से लैस करना होगा और हर स्तर पर उसे संगठित करने के लिए एक्शन कमेटियाँ गठित करनी होंगी। मजदूरों के अपने स्वतन्त्र संगठन होने चाहिए और हमें मार्क्सवादी क्रान्तिकारी प्रवृत्ति का निर्माण करना चाहिए।’’

लोकतन्त्र और सत्ताधारी वर्गः

गुरुवार, 7 मार्च 2013

लैटिन अमरीका के महान क्रांतिकारी नेता ह्यूगो शावेज हमारे दिलों में जिन्दा रहेंगे।

ह्युगो शावेज की शहादत लातिन अमरिकी मुक्ति आन्दोलन में एक दुखद घटना है। दुनिया की जनता को उनकी कमी लगातार खलती रहेगी। शावेज वैश्वीकरण और नव-उदारवादी नीति के प्रबल विरोधी थे। वे वेनेजुएला के ऐसे राष्ट्र-प्रमुख थे, जो समाजवादी विचारधारा और लातिन जन-संघर्ष के महान उसूलों से जनता की सेवा करते थे। वे वर्तमान में दुनिया की मेहनतकश जनता के सबसे पसंदीदा नेता थे। अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से वे साम्राज्यवादी अमरिका और दुनिया भर में उसके लगुये-भगुओं के आंख की किरकिरी थे। अमरिका कई बार तख्थापलट और उनकी ह्त्या की नाकाम कोशिश कर चुका था। अब अमरिकी हुकूमत चैन और राहत की सांस लेने की सोच रहा होगा। लेकिन दुनिया की जनता उन्हें चैन की साँस लेने नहीं देगी।
       शावेज प्रगतिशील साहित्य पढने के शौक़ीन थे और अपनी जनता से जीवंत संपर्क में रहते थे। वे एक जनप्रिय और क्रांतिकारी नेता थे। उन्होने आज की विषम परिस्थिति में समाजवादी नीतियों को काफी हद तक अपने देश में लागू किया। उन्होंने वेनेजुएला को आज ऐसे मुकाम पर पहुँच दिया कि वहां के निर्धन लोग अब मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरी बुनियादी सुविधाओं तक आसानी से पहुँच सकते है। उन्होंने वेनेजुएला को सैन्य और आर्थिक मामलों में भी आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने लातिन अमरीकी देशों में आपसी सहयोग बढ़ने के लिए एल्बा संगठन बनाने की पहल की। जिसमें क्यूबा, इक्वाडोर और बोलीबिया शामिल है। मैक्सिको और कई कैरीबियाई देश इसमें शामिल होने के इच्छुक हैं जबकि वियतनाम पर्यवेक्षक के रूप में जुड़ने के लिए राजी है। भविष्य में यह संस्था स्थानीय सहयोग के जरिये साम्राज्यवाद के लिए चुनौती बनाकर उभर सकती है। 
         वेनेजुएला की जनता आज अपने महान नेता शावेज के जाने के शोक में डूबी है। यह न केवल वेनेजुएला के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। देश की संपदा को लूटने के लिए देशी और विदेशी धन्ना सेठों, कारोबारियों और पूंजीपतियों ने शावेज के आंदोलन को कुचलने की भरसक कोशिश की। लेकिन वे कुछ हासिल न कर सके। क्योंकि वहां की जनता शावेज को प्यार करती है। उनके न रहने पर क्रांतिविरोधी ताकतें फिर षड़यंत्र रचना शुरू करेंगी। वे किस हद तक अपने मंसूबों में कामयाब होंगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि नया नेतृत्व जनता को किस दिशा में ले जायेगा। लेकिन वेनेजुएला की जनता अपने महान नेता के सपनों को पूरा करने के लिए आगे आयेगी। 
       

बुधवार, 6 मार्च 2013

ह्यूगो शावेज के लिए एक कविता



-माइकेल डी. मोरिस्से


(20 सितम्बर 2006 को शावेज ने अपना मशहूर कराकास भाषण दिया था और उसके अगले ही दिन अमरीकी कवि माइकेल डी. मोरिस्से ने उस भाषण की प्रशंसा में अंतरराष्ट्रवाद से ओतप्रोत यह कविता लिखी थी.)

तुम्हारे शब्द ढाढस बंधाते हैं क्षतिग्रस्त राष्ट्र को
तुम्हारे ही नहीं, बल्कि मेरे लंगड़ाते दिग्गज राष्ट्र को भी
जिसकी आत्मा लहूलुहान कर दी है अपने ही नेताओं ने,
उन्हीं लोगों ने जिन्हें तुम कहते हो
साम्राज्यवादी और शैतान, हत्यारे, उत्पीडक.


हमे भी पता है यह. लेकिन इसे तुम्हारे मुँह से सुनना जरूरी है
क्योंकि हम जानते हैं तुम हमारे मित्र हो.
तुम हमें भाई कहते हो, और हमें तुम पर भरोसा है.
तुम हमें याद दिलाते हो दस्तावेजी सबूत के साथ, सीआइए के अपराधों की
जिन्हें अंजाम दिया गया न सिर्फ तुम्हारे देश के खिलाफ,
बल्कि कई दूसरे देशों और खुद हमारे अपने ही देश के खिलाफ.


तुम जानते हो कि 9/11 और उसके बाद जो कुछ हुआ
उन सब के पीछे शैतान बुशको था, और तुम्हें कोई भय नही इसे बताने में.
चोमस्की नहीं जा सके इस हद तक, लेकिन डेविड ग्रिफिन गये
और सहमत हैं तुमसे शैतान के विषय में.


हमने भी यही किया. हम जनता के लोग
जो गर्क हो रहे हैं बीते युग के जर्मनी जैसे फासीवाद में,
जिन्होंने इतिहास से कोई सबक नहीं ली,
गूंगे, बहरे और अंधे हो गये 9/11 से नहीं
बल्कि टेलीविजन और न्यू यार्क टाइम्स के धमाकों से
जो वर्षों पहले शैतान के हाथों बिक चुके थे.


अब तुम आये, ह्यूगो शावेज, कहते हुए वह सब जो
टाइम्स नहीं छापेगा, लेकिन हमारे दिल धधक रहे थे कहने को
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा से पहले ही.


धन्यवाद दे रहे हैं तुम्हें इतने तुच्छ रूप में, इस उम्मीद के साथ
कि कल ये छोटी-छोटी आवाजें गूंजेंगी समवेत सुर में
जैसे आज तुम्हारे देश में, और बोलीविया में
और एक दिन हमारे यहाँ भी होगा असली चुनाव फिर से
और हम चुनेंगे तुम्हारे जैसे लोग जो सच बोलेंगे
और वैसा ही करेंगे वे जो हम चाहते हैं
न कि जैसा वे करना चाहते है, हमें गुलाम बनाने के लिए,
हमारी जान लेने कंगाल बनाने और लूटने के लिए, और हद तो यह
कि हमें पता भी नहीं इन जुल्मों का, इस ख्याल में कि आजाद हैं हम,
“दुनिया का सबसे महान देश.”

पूरे इतिहास में क्या इससे ज्यादा घृणास्पद राजसत्ता हुई है कोई?

“और वे सोचते थे कि आजाद हैं वे!”
यही दर्ज होगा हमारी कब्र के पत्थर पर
तिरस्कर्ताओं के उप-राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से,
अगर हम जागते नहीं, मेरे भाई, और हँसते नहीं तुम्हारी तरह
भाईचारे और न्याय की हँसी. सलाम, अमरीकियों के दोस्त, ह्यूगो.



(अनुवाद- दिगम्बर)

मंगलवार, 5 मार्च 2013

ह्यूगो शावेज की याद में संयुक्त राष्ट्र संघ में उनका भाषण



आतताई साम्राज्यवाद 
-ह्यूगो शावेज फ्रियास

(ह्यूगो शावेज की असामयिक मृत्यु ने आज दुनियाभर में न्याय और समता के सपने को साकार करने में लगे करोड़ों लोगों को शोकसंतप्त कर दिया है. उनकी याद में हम यहाँ 20 सितम्बर 2006 को काराकास में हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन में राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज फ्रियास का संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया की जनता के नाम सन्देश यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं जो विश्व जनगण के साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है. यह देश-विदेश पत्रिका के पाँचवें अंक में प्रकाशित हुआ था.)

अध्यक्ष महोदया, महामहिम राज्याध्यक्ष, सरकारों के प्रमुख और दुनिया की सरकारों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिगण आप सब को शुभ दिवस!


सबसे पहले आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि जिसने भी यह किताब नहीं पढ़ी है, इसे जरूर पढ़ लें । अमरीका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बहुत ही सम्मानित बुद्धिजीवी नोम चोम्सकी की ताजा रचना मैंने पढ़ी - ‘वर्चस्व या अस्तित्व रक्षा ? दुनिया पर प्रभुत्व कायम करने की अमरीकी कोशिश ।’ यह किताब 20वीं सदी के दौरान जो कुछ हुआ और जो आज भी हो रहा है, हमारे भूमण्डल के ऊपर जो गम्भीर खतरे मँडरा रहे हैं, अमरीकी साम्राज्यवाद के जिस वर्चस्ववादी मंसूबे ने मानव जाति के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है, उन सबको समझने में यह काफी मददगार है । डेमोक्लीज की तलवार की तरह हमारे ऊपर लटक रहे इस खतरे के प्रति हम लगातार अमरीका और पूरी दुनिया की जनता को चेतावनी दे रहे हैं और उनका आह्वान कर रहे हैं ।
 
मैं इसका एक अध्याय यहाँ पढ़ना चाहता था, लेकिन समय के अभाव में मैं केवल आपसे पढ़ने का अनुरोध भर कर रहा हूँ । यह काफी प्रवाहमय है । अध्यक्ष महोदया, यह वास्तव में बहुत अच्छी किताब है और आप जरूर इससे वाकिफ होंगी । यह अंग्रेजी, जर्मन, रशियन और अरबी में छपी है । देखिए, मेरे खयाल से संयुक्त राज्य अमरीका के हमारे भाई–बहनों को तो सबसे पहले इसे पढ़ना चाहिए क्योंकि खतरा उनके घर में है । शैतान उनके घर में है । शैतान खुद उनके घर के भीतर है ।
 
शैतान कल यहाँ भी आया था । (हँसी और तालियाँ) । कल शैतान यहीं था । ठीक इसी जगह । यह टेबुल जहाँ से मैं बोल रहा हूँ, वहाँ अभी भी सल्फर की बदबू आ रही है । कल, बहनो–भाइयो ठीक इसी सभागार में संयुक्त राज्य अमरीका का राष्ट्रपति जिसे मैं शैतान कह रहा हूँ, आया था और ऐसे बोल रहा था, जैसे वह दुनिया का मालिक हो । कल उसने जो भाषण दिया था, उसे समझने के लिए हमें किसी मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ेगी ।
 साम्राज्यवाद के प्रवक्ता के रूप में वह हमें अपने मौजूदा वर्चस्व को बनाये रखने, दुनिया की जनता के शोषण और लूट की योजना का नुस्खा देने आया था । इस पर तो अल्फ्रेड हिचकॉक की एक डरावनी फिल्म तैयार हो सकती है । मैं उस फिल्म का नाम भी सुझा सकता हूँ - ‘‘शैतान का नुस्खा ।’’ मतलब अमरीकी साम्राज्यवाद, और यहाँ चोम्सकी इस बात को गहरी और पारदर्शी स्पष्टता के साथ कहते हैं कि अमरीकी साम्राज्यवाद अपनी वर्चस्ववादी प्रभुत्व की व्यवस्था को मजबूत बनाने की उन्माद भरी कोशिशें कर रहा है । हम ऐसा होने नहीं देंगे, हम उन्हें विश्वव्यापी तानाशाही लादने नहीं देंगे ।
दुनिया के इस जालिम राष्ट्रपति का भाषण मानवद्वेष से भरा हुआ था, पाखण्ड से भरा हुआ था । यही वह साम्राजी पाखण्ड है जिसके सहारे वे हर चीज पर नियन्त्रण कायम करना चाहते हैं । वे हम सबके ऊपर अपने द्वारा गढ़े  गये लोकतन्त्र के नमूने को थोपना चाहते हैं, अभिजात्यों का फर्जी लोकतन्त्र । और इतना ही नहीं, एक बहुत ही मौलिक लोकतान्त्रिक नमूना जो विस्फोटों, बमबारियों, घुसपैठों और तोप के गोलों के सहारे थोपा जा रहा है, क्या ही सुन्दर लोकतन्त्र है! हमें अरस्तु और प्राचीन यूनानियों के लोकतन्त्र के सिद्धान्तों का पुनरावलोकन करना होगा यह समझने के लिए कि यह किस प्रकार के लोकतन्त्र का नमूना है जो समुद्री बेड़ों, आक्रमणों, घुसपैठों और बमों के जरिये आरोपित किया जा रहा है ।
 
अमरीकी राष्ट्रपति ने इस छोटे से सभागार में कल कहा था कि ‘‘आप जहाँ भी जाओ, आपको उग्रवादी यह कहते हुए सुनायी देते हैं कि आप हिंसा और आतंक, मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं और अपना सम्मान फिर से हासिल कर सकते हैं ।’’ वह जिधर भी देखता है, उसे उग्रवादी दिखाई देते हैं । मुझे यकीन है कि वह आपकी चमड़ी के रंग को देखता है भाई, और सोचता है कि आप एक उग्रवादी हो । अपनी चमड़ी के रंग के चलते ही बोलीविया के माननीय राष्ट्रपति इवो मोरालेस जो कल यहाँ आये थे, एक उग्रवादी हैं। साम्राज्यवादियों को हर जगह उग्रवादी दिखायी देते हैं । नहीं ऐसा नहीं कि हम लोग उग्रवादी हैं । हो ये रहा है कि दुनिया जाग रही है और हर जगह जनता उठ खड़ी हो रही है । मुझे ऐसा लगता है श्रीमान् साम्राज्यवादी तानाशाह कि आप अपने बाकी के दिन एक दु:स्वप्न में गुजारेंगे, क्योंकि आप चाहे जिधर भी देखेंगे हम अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ उठ खड़े हो रहे होंगे । हाँ, वे हमें उग्रवादी कहते हैं क्योंकि हम दुनिया में सम्पूर्ण आजादी की माँग करते हैं, जनता के बीच समानता की माँग करते हैं और राष्ट्रीय सम्प्रभुता के सम्मान की माँग करते हैं । हम साम्राज्य के खिलाफ, वर्चस्व के ताने–बाने के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं ।
  
आगे राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘आज हम सारे मध्यपूर्व की समूची जनता से सीधे–सीधे कहना चाहेंगे कि मेरा देश शान्ति चाहता है ।’’ यह पक्की बात है । अगर हम ब्रोंक्स की सड़कों से गुजरें, यदि हम न्यूयार्क, वाशिंगटन, सान दियेगो, कैलीपफोर्निया, सान फ़्रांससिस्को की गलियों से होकर गुजरें और उन गलियों के लोगों से पूछें तो यही जवाब मिलेगा कि अमरीका की जनता शान्ति चाहती है । फर्क यह है कि इस देश की, अमरीका की सरकार शान्ति नहीं चाहती । युद्ध का भय दिखाकर हमारे ऊपर अपने शोषण और लूट और प्रभुत्व का प्रतिमान थोपना चाहती है । यही थोड़ा सा फर्क है ।
 
जनता शान्ति चाहती है लेकिन इराक में हो क्या रहा है ? और लेबनान और फिलिस्तीन में क्या हुआ ? और सौ सालों तक लातिन अमरीका और दुनियाभर में क्या हुआ ? और वेनेजुएला के खिलाफ धमकी और ईरान के खिलाफ नयी धमकी ? लेबनान की जनता से उसने कहा, ‘‘आप में से बहुतों ने अपने घर और अपने समुदायों को जवाबी गोलाबारी में फँसते देखा ।’’ क्या सनकीपन है ? दुनिया के सामने सफेद झूठ बोलने की कैसी महारत है ? बेरूत के ऊपर एक–एक सेण्टीमीटर की नाप–जोख करके गिराये गये बम क्या ‘‘जवाबी गोलाबारी’’ थी! मेरे खयाल से राष्ट्रपति उन पश्चिमी फिल्मों की बात कर रहा है जिसमें वे कमर की ऊँचाई से दूसरे पर अंधाधुंध गोलियाँ चलातें हैं और बीच में फँस कर कोई मर जाता है ।
 
साम्राज्यवादी गोलाबारी, फासीवादी गोलाबारी! हत्यारी गोलाबारी! साम्राज्यवादियों और इजरायल के द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान की निर्दोष जनता के खिलाफ नरसंहारक गोलाबारी, यही सच है । अब वे कहते हैं कि वे तबाह किये गये घरों को देखकर परेशान हैं ।
 
आज सुबह मैं अपने भाषण की तैयारी के दौरान कुछ भाषणों को देख रहा था । अपने भाषण में अमरीकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की जनता को, लेबनान की जनता को, ईरान की जनता को सम्बोधित किया । कोई भी, अमरीकी राष्ट्रपति को उन लोगों को सम्बोधित करते हुए सुनेगा तो वह अचरज में पड़ जायेगा । वे लोग उससे क्या कहेंगे ? यदि वे लोग उससे कुछ कह पाते तो उससे भला क्या कहते ? मुझे इसका कुछ अन्दाजा है क्योंकि मैं  उन लोगों की, दक्षिण के लोगों की आत्मा से परिचित हूँ । यदि दुनियाभर के वे लोग अमरीकी साम्राज्यवाद से एक ही आवाज में बोलें, तो दबे–कुचले लोग कहेंगे - यांकी साम्राज्यवादी वापस जाओ! यही वह चीख होगी जो पूरी दुनिया में गूँज उठेगी ।
 अध्यक्ष महोदया, साथियो और दोस्तो, पिछले साल हम लोग ठीक इसी सभागार में आये, पिछले आठ वर्षों से हम लोग यहाँ जुटते हैं और हम सबने कुछ बातें कही थीं जो आज पूरी तरह सही साबित हुई हैं । मेरा विश्वास है कि इस जगह बैठे हुए लोगों में से कोई भी नहीं होगा जो संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था के समर्थन में खड़ा होगा । हमें इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जिस संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्भव हुआ था, उसका पतन हो गया है, वह छिन्न–भिन्न हो गया है, वह किसी काम का नहीं रहा । हाँ, ठीक है कि यहाँ आना और भाषण देना और एक–दूसरे से साल में एक बार मिलना–जुलना, इतना काम तो होता है । लम्बे दस्तावेज तैयार करना, अपने विचार व्यक्त करना और अच्छे भाषण सुनना, जैसा कल इवो ने और लूला ने दिया था, हाँ इसके लिए यह ठीक है । और भी कई अच्छे भाषण भी, जैसा अभी–अभी श्रीलंका के राष्ट्रपति और चिली के राष्ट्रपति ने दिया । लेकिन हमने इस मंच को महज एक विचार मण्डल में बदल दिया है जिसमें आज पूरी दुनिया जिन भयावह सच्चाइयों से रूबरू है उन्हें रत्ती भर भी प्रभावित करने का कोई दम नहीं है । इसलिए हम यहाँ एक बार फिर आज, यानि 20 सितम्बर 2006 को संयुक्त राष्ट्र संघ की पुनर्स्थापना का प्रस्ताव रखते हैं । पिछले साल अध्यक्ष महोदया, हमने चार निम्न प्रस्ताव रखे थे, जिन्हें मैं महसूस करता हूँ कि राज्याध्यक्षों, सरकार के प्रमुखों, राजदूतों और प्रतिनिधियों द्वारा स्वीकृति दिया जाना अत्यन्त जरूरी है । हमने इन प्रस्तावों पर विचार–विमर्श भी किया है ।
 
पहला - विस्तार । कल लूला ने यही बात कही थी, सुरक्षा परिषद् के स्थाई और साथ ही अस्थाई पदों को भी विकसित, अविकसित और तीसरी दुनिया के देशों के बीच से नये सदस्यों के लिए खुला रखना जरूरी है । यह पहली प्राथमिकता है ।
 दूसरा - दुनिया के टकरावों का सामना करने और उन्हें हल करने के लिए प्रभावी तौर–तरीके अपनाना ।  वाद–विवाद और निर्णय लेने के पारदर्शी तौर–तरीके ।
 तीसरा - वीटो की गैरजनवादी प्रणाली तत्काल समाप्त करना । सुरक्षा परिषद् के निर्णयों के ऊपर वीटो के अधिकार का प्रयोग हमारे खयाल से एक बुनियादी सवाल है और हम सब इसे हटाने की माँग करते हैं । इसका ताजा उदाहरण है अमरीकी सरकार द्वारा अनैतिक वीटो जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के एक प्रस्ताव को बाधित करके इजरायली सेना को लेबनान की तबाही की खुली छूट दे दी और हम विवश देखते रह गये ।
चैथा - जैसा कि हम हमेशा कहते रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव की भूमिका और उसके अधिकारों को मजबूत बनाना जरूरी है । कल हमने महासचिव का भाषण सुना जिनका कार्यकाल जल्दी ही खत्म होने जा रहा है । उन्होंने याद दिलाया कि पिछले दस वर्षों के दौरान दुनिया पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो गयी है तथा भूख, गरीबी, हिंसा और मानवाधिकारों के हनन जैसी दुनिया की गम्भीर समस्याएँ लगातार विकट होती गयी हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था के पतन और अमरीकी साम्राज्यवाद के मंसूबों का भयावह परिणाम है।
अध्यक्ष महोदया, इसके सदस्य के रूप में अपनी–अपनी हैसियत को समझते हुए कई साल पहले वेनेजुएला ने फैसला किया था कि हम संयुक्त राष्ट्र संघ के भीतर अपनी आवाज, अपने विनम्र विचारों के जरिये यह लड़ाई लडे़ंगे । हम एक स्वतन्त्र आवाज हैं, स्वाभिमान के प्रतिनिधि हैं, शान्ति की तलाश में हैं और एक ऐसी अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के निरूपण की माँग करते हैं जो दुनियाभर की जनता के उत्पीड़न और वर्चस्ववादी आक्रमणों की भर्त्सना करे । इसी को ध्यान में रखते हुए वेनेजुएला ने अपना नाम प्रस्तुत किया है । बोलिवर की धरती ने सुरक्षा परिषद् के अस्थायी पद के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम प्रस्तुत किया है । निश्चय ही आप सब जानते हैं अमरीकी सरकार ने एक खुला आक्रमण छेड़ दिया है ताकि वह सुरक्षा परिषद् के खुले पद को स्वतन्त्र चुनाव के जरिये हासिल करने में वेनेजुएला की राह में बाधा खड़ी करे । वे सच्चाई से डरते हैं । साम्राज्यवादी सच्चाई और स्वतन्त्र आवाज से भयभीत हैं । वे हम पर उग्रवादी होने की तोहमत लगाते हैं । 
उग्रवादी तो वे खुद हैं ।
 
मैं उन सभी देशों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने वेनेजुएला को समर्थन देने की घोषणा की है, बावजूद इसके कि मतदान गुप्त है और किसी के लिए अपना मत जाहिर करना जरूरी नहीं । लेकिन मैं सोचता हूँ कि अमरीका के खुले आक्रमण ने कई देशों को समर्थन के लिए बाध्य कर दिया ताकि वेनेजुएला को, हमारी जनता और हमारी सरकार को नैतिक रूप से बल प्रदान करें ।
 
मरकोसुर के हमारे भाइयों एवं बहनों ने, मिसाल के लिए एक समूह के तौर पर वेनेजुएला को अपना समर्थन देने की घोषणा की है । अब हम ब्राजील, अर्जेण्टीना, उरुग्वे, परागुए के साथ मरकोसुर (लातिन अमरीकी साझा बाजारद्) के स्थायी सदस्य हैं । बोलीविया जैसे कई दूसरे लातिन अमरीकी देशों और सभी कैरीकॉम (कैरीबियाई साझा बाजार) के देशों ने भी वेनेजुएला को अपना समर्थन देने का वचन दिया है । सम्पूर्ण अरब लीग ने वेनेजुएला को समर्थन देने की घोषणा की है । मैं अरब दुनिया को, अरब दुनिया के अपने भाइयों को धन्यवाद देता हूँ । अफ़्रीकी संघ के लगभग सभी देशों ने तथा रूस, चीन और दुनियाभर के अन्य कई देशों ने भी वेनेजुएला को अपना समर्थन देने का वचन दिया है । मैं वेनेजुएला की ओर से, अपने देश की जनता की ओर से और सच्चाई के नाम पर आप सबको तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ क्योंकि सुरक्षा परिषद् में स्थान पाकर हम न केवल वेनेजुएला की आवाज, बल्कि तीसरी दुनिया की आवाज, पूरे पृथ्वी ग्रह की आवाज को सामने लायेंगे । वहाँ हम सम्मान और सच्चाई की हिफाजत करेंगे । अध्यक्ष महोदया, सबकुछ के बावजूद मैं सोचता हूँ कि आशावादी होने के आधार है।
 
जैसा कवि लोग कहते हैं, विकट आशावादी, क्योंकि बमों, युद्ध, हमलों, निरोधक युद्धों और पूरी जनता की तबाही के खतरे के बावजूद कोई भी यह देख सकता है कि एक नये युग का उदय हो रहा है । जैसा कि सिल्वो रोड्रिग्ज गाता है - ‘‘जमाना एक नये जीवट को जन्म दे रहा है ।’’ वैकल्पिक प्रवृत्तियाँ, वैकल्पिक विचार और स्पष्ट विचारों वाले नौजवान उभर कर सामने आ रहे हैं । बमुश्किल एक दशक बीता और यह बात साफ तौर पर साबित हो गयी कि ‘इतिहास के अन्त’ का सिद्धान्त पूरी तरह फर्जी है । अमरीकी साम्राज्य और अमरीकी शान्ति की स्थापना, पूँजीवादी नवउदारवादी मॉडल की स्थापना, जो दु:ख–दैन्य और गरीबी को जन्म देते हैं - पूरी तरह फर्जी है । यह विचार पूरी तरह बकवास है और इसे कूड़े पर फेंक दिया गया है । अब दुनिया के भविष्य को परिभाषित करना ही होगा । पूरी पृथ्वी पर एक नया सवेरा हो रहा है जिसे हर जगह देखा जा सकता है - लातिन अमरीका में, एशिया, अफ्रिका, यूरोप और ओसीनिया में । इस आशावादी नजरिये पर मैं अच्छी तरह रोशनी डाल रहा हूँ ताकि हम अपनी अन्तरात्मा और दुनिया की हिफाजत करने का, एक बेहतर दुनिया, एक नयी दुनिया के निर्माण के लिए लड़ने का, अपना इरादा पक्का कर लें ।

वेनेजुएला इस संघर्ष में शामिल हो गया है और इसीलिए हमें धमकियाँ दी जा रही हैं । अमरीका ने पहले ही एक तख्तापलट की योजना बनायी, उसके लिए पैसे दिये और उसे अंजाम दिया । अमरीका आज भी वेनेजुएला में तख्तापलट की साजिश रचने वालों की मदद कर रहा है और वे लगातार वेनेजुएला के खिलाफ आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं ।
 
राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट ने कुछ दिनों पहले, माफ करें, कुछ ही मिनटों पहले यहाँ बताया कि चिली के विदेश मन्त्री ओरलान्दो लेतेलियर की कितनी भयावह तरीके से हत्या की गयी । मैं इसमें इतना और जोड़ दूँ कि अपराधी दल पूरी तरह आजाद हैं । उस कुकृत्य के लिए, जिसमें एक अमरीकी नागरिक भी मारा गया था, जो लोग जिम्मेदार हैं वे सीआईए के उत्तरी अमरीकी लोग हैं, सीआईए के आतंकवादी है ।
 
इसके साथ मैं इस सभागार में यह भी याद दिला देना जरूरी समझता हूँ कि आज से 30 साल पहले एक हृदयविदारक आतंकवादी हमले में क्यूबाना दे एविएसियोन के एक हवाई जहाज को बीच आकाश में उड़ा दिया गया था और 73 निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया था । इस महाद्वीप का वह सबसे घिनौना आतंकवादी कहाँ है जिसने स्वीकार किया था कि उस क्यूबाई हवाई जहाज को उड़ाने के षड्यन्त्र का दिमागी खाका उसी ने तैयार किया था ? वह कुछ सालों तक वेनेजुएला की जेल में था, लेकिन सीआईए के अधिकारियों और वेनेजुएला की तत्कालीन सरकार की मदद से वह फरार हो गया । आजकल वह अमरीका में रह रहा है, और वहाँ की सरकार उसका बचाव कर रही है, इसके बावजूद कि उसने जुर्म का इकबाल किया था और उसे सजा हुई थी । अमरीका दोगली नीति अपनाता है और आतंकवादियों का बचाव करता है ।
इन बातों के जरिये मैं यह बताना चाहता हूँ कि वेनेजुएला आतंकवाद के खिलाफ, हिंसा के खिलाफ संघर्ष के लिए वचनबद्ध है और उन सभी लोगों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है जो शान्ति के लिए और एक न्यायपूर्ण दुनिया के लिए संघर्षरत हैं ।
 
मैने क्यूबाई हवाई जहाज की बात की । लुइस पोसादा कैरिलेस नाम है उस आतंकवादी का । अमरीका में उसकी ठीक उसी तरह हिफाजत की जाती है जैसे वेनेजुएला के भ्रष्ट भगोड़ों की, आतंकवादियों के एक गिरोह की जिसने कई देशों के दूतावासों में बम लगाया था, तख्तापलट के दौरान निर्दोष लोगों की हत्या की थी और इस विनम्र सेवक (शावेज) का अपहरण किया था । वे मेरी हत्या करने ही वाले थे कि खुदा की मेहरबानी, अच्छे सैनिकों का एक समूह सामने आया और जिन्होंने जनता को सड़कों पर उतार दिया । यह चमत्कार ही समझिये कि मैं यहाँ मौजूद हूँ । उस तख्तापलट और आतंकवादी कारनामे के नेता यहीं हैं, अमरीकी सरकार की सुरक्षा में (अभी हाल ही में खबर आयी कि अमरीका ने इस आतंकवादी कैरिलेस को रिहा कर दिया है- अनुवादक) मैं अमरीकी सरकार पर आतंकवाद की हिफाजत करने और एक पूर्णत: मानवद्रोही भाषण देने का अभियोग लगाता हूँ ।
जहाँ तक क्यूबा की बात है, हम लोग खुशी–खुशी हवाना गये । कई दिनों तक हम लोग वहाँ रहे । जी–15 और गुट निरपेक्ष आन्दोलन के सम्मेलन के दौरान पारित एक ऐतिहासिक प्रस्ताव और दस्तावेज में नये युग के उदय का स्पष्ट प्रमाण मौजूद था । परेशान न हों । मैं यहाँ उन सबको पढ़ने नहीं जा रहा हूँ । लेकिन पूरी पारदर्शिता के साथ खुले विचार–विमर्श के बाद लिए गये प्रस्तावों का एक संग्रह यहाँ उपलब्ध है । पचास देशों के राज्याध्यक्षों की उपस्थिति में एक हफ्रते तक हवाना दक्षिण की राजधानी बना हुआ था । हमने गुट निरपेक्ष आन्दोलन को दुबारा शुरू किया । और आपसे हमारी यही गुजारिश है कि मेरे भाइयों और बहनों, मेहरबानी करके आप लोग गुट निरपेक्ष आन्दोलन को मजबूत बनाने के लिए अपना पूरा सहयोग दें, क्योंकि यह नये युग के उदय तथा आधिपत्य और साम्राज्यवाद पर लगाम लगाने के लिए बहुत ही जरूरी है । साथ ही आप सब जानते हैं कि हमने फिदेल कास्त्रो को अगले तीन वर्षों के लिए गुट निरपेक्ष आन्दोलन का अध्यक्ष बनाया है और हमें पक्का यकीन है कि साथी अध्यक्ष फिदेल कास्त्रो पूरी दक्षता के साथ अपना पद सम्भालेंगे । जो लोग फिदेल की मौत चाहते थे, उन्हें निराशा ही हाथ लगी क्योंकि फिदेल अपनी जैतूनी हरे रंग की वर्दी में वापस आ गये हैं और वे अब न केवल क्यूबा के राज्याध्यक्ष हैं बल्कि गुट निरपेक्ष आन्दोलन के भी अध्यक्ष हैं । 

अध्यक्ष महोदया, मेरे प्यारे दोस्तों राज्याध्यक्षों, हवाना में दक्षिण का एक बहुत ही मजबूत आन्दोलन उठ खड़ा हुआ है । हम दक्षिण के औरत और मर्द हैं । हम इन दस्तावेजों, इन धारणाओं और विचारों के वाहक हैं । जिन परचों और पुस्तको को मैं वहाँ से अपने साथ लाया हूँ - वे आपके लिए रखवा दिये गये हैं । इन्हें भूलिएगा मत । मैं वास्तव में आपसे इन्हें पढ़ने की सिफारिश कर रहा हूँ । पूरी विनम्रता के साथ हम लोग इस ग्रह को बचाने, साम्राज्यवाद के खतरे से इसकी हिफाजत करने की दिशा में वैचारिक योगदान करने का प्रयास कर रहे हैं और भगवान ने चाहा तो जल्दी ही यह काम हो जायेगा । इस सदी की शुरुआत में ही यदि खुदा ने चाहा हम लोग खुद भी और अपने  बच्चों, अपने पोते–पोतियों के साथ एक शान्तिपूर्ण दुनिया का मजा ले सकेंगे, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नवीन और पुनर्निर्धारित बुनियादी सिद्धान्तों के अनुरूप होगी । मेरा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र संघ किसी अन्य देश में स्थापित होगा, दक्षिण के किसी शहर में । हमने इसके लिए वेनेजुएला की ओर से प्रस्ताव दिया है । आप सबको पता है कि हमारे चिकित्सकों को हवाई जहाज में बन्द करके रोक दिया गया है । हमारे सुरक्षा प्रमुख को हवाई जहाज में बन्द कर दिया गया । वे उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में नहीं आने देंगे । एक और दुर्व्यवहार, एक और अत्याचार ।
अध्यक्ष महोदया, मेरा आग्रह है कि इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर उसी सल्फ्रयूरिक शैतान को जिम्मेदार माना जाये । 

गर्मजोशी भरा आलिंगन । खुदा हम सब की खैर करे ।
शुभ दिवस ।