बुधवार, 6 मार्च 2013

ह्यूगो शावेज के लिए एक कविता



-माइकेल डी. मोरिस्से


(20 सितम्बर 2006 को शावेज ने अपना मशहूर कराकास भाषण दिया था और उसके अगले ही दिन अमरीकी कवि माइकेल डी. मोरिस्से ने उस भाषण की प्रशंसा में अंतरराष्ट्रवाद से ओतप्रोत यह कविता लिखी थी.)

तुम्हारे शब्द ढाढस बंधाते हैं क्षतिग्रस्त राष्ट्र को
तुम्हारे ही नहीं, बल्कि मेरे लंगड़ाते दिग्गज राष्ट्र को भी
जिसकी आत्मा लहूलुहान कर दी है अपने ही नेताओं ने,
उन्हीं लोगों ने जिन्हें तुम कहते हो
साम्राज्यवादी और शैतान, हत्यारे, उत्पीडक.


हमे भी पता है यह. लेकिन इसे तुम्हारे मुँह से सुनना जरूरी है
क्योंकि हम जानते हैं तुम हमारे मित्र हो.
तुम हमें भाई कहते हो, और हमें तुम पर भरोसा है.
तुम हमें याद दिलाते हो दस्तावेजी सबूत के साथ, सीआइए के अपराधों की
जिन्हें अंजाम दिया गया न सिर्फ तुम्हारे देश के खिलाफ,
बल्कि कई दूसरे देशों और खुद हमारे अपने ही देश के खिलाफ.


तुम जानते हो कि 9/11 और उसके बाद जो कुछ हुआ
उन सब के पीछे शैतान बुशको था, और तुम्हें कोई भय नही इसे बताने में.
चोमस्की नहीं जा सके इस हद तक, लेकिन डेविड ग्रिफिन गये
और सहमत हैं तुमसे शैतान के विषय में.


हमने भी यही किया. हम जनता के लोग
जो गर्क हो रहे हैं बीते युग के जर्मनी जैसे फासीवाद में,
जिन्होंने इतिहास से कोई सबक नहीं ली,
गूंगे, बहरे और अंधे हो गये 9/11 से नहीं
बल्कि टेलीविजन और न्यू यार्क टाइम्स के धमाकों से
जो वर्षों पहले शैतान के हाथों बिक चुके थे.


अब तुम आये, ह्यूगो शावेज, कहते हुए वह सब जो
टाइम्स नहीं छापेगा, लेकिन हमारे दिल धधक रहे थे कहने को
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा से पहले ही.


धन्यवाद दे रहे हैं तुम्हें इतने तुच्छ रूप में, इस उम्मीद के साथ
कि कल ये छोटी-छोटी आवाजें गूंजेंगी समवेत सुर में
जैसे आज तुम्हारे देश में, और बोलीविया में
और एक दिन हमारे यहाँ भी होगा असली चुनाव फिर से
और हम चुनेंगे तुम्हारे जैसे लोग जो सच बोलेंगे
और वैसा ही करेंगे वे जो हम चाहते हैं
न कि जैसा वे करना चाहते है, हमें गुलाम बनाने के लिए,
हमारी जान लेने कंगाल बनाने और लूटने के लिए, और हद तो यह
कि हमें पता भी नहीं इन जुल्मों का, इस ख्याल में कि आजाद हैं हम,
“दुनिया का सबसे महान देश.”

पूरे इतिहास में क्या इससे ज्यादा घृणास्पद राजसत्ता हुई है कोई?

“और वे सोचते थे कि आजाद हैं वे!”
यही दर्ज होगा हमारी कब्र के पत्थर पर
तिरस्कर्ताओं के उप-राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से,
अगर हम जागते नहीं, मेरे भाई, और हँसते नहीं तुम्हारी तरह
भाईचारे और न्याय की हँसी. सलाम, अमरीकियों के दोस्त, ह्यूगो.



(अनुवाद- दिगम्बर)

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