मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

ग्रामीण परिवारों के सर्वे के तथ्य

सोसियो-इकोनामिक कास्ट सेन्सस (एस ई सी सी ) यानी सामाजिक-आर्थिक जाति आधारित जनगणना की ताजा रिपोर्ट के अनुसार (2012&2013)

 49 प्रतिशत परिवार गरीब हैं और 51 प्रतिशत अस्थाई शारीरिक श्रमिक।
 इस सर्वे ने वंचना के 7 सुचक इस्तेमाल किये। जिनमें कच्चा मकान, शारीरिक श्रम में लगा भूमिहीन परिवार, बिना कामगार पुरुषों के महिला मुखिया परिवार, बिना युवा कामगार के परिवार और सभी एस सी/एस टी परिवार शामिल हैं।
  2-37 करोड़ परिवार एक रुम के कच्चे मकान में रहते हैं जो कुल ग्रामीण परिवारों का 13-25 प्रतिशत है। कुल ग्रामीण परिवार 17-91 करोड़ हैं। 30 प्रतिशत ग्रामीण परिवार के पास कोई जमीन नहीं और वे केवल शारीरिक श्रम पर गुजारा करते हैं ।
  अगर मोदी सरकार वास्तविकता को ध्यान में रखते हुये गरीबी रेखा का निर्धारण करे तो गरीबों की संख्या बहुत बड़ी मिलेगी। हाँलाकि कांग्रेस सरकार आँकड़ों में हेरफेर करने से विवादों में घिर गयी थी।
  एक या अधिक सूचक के अनुसार वंचित परिवारों की संख्या 8-69 करोड़ (48-5 प्रतिशत) है।
  कुल दलित और आदिवासी परिवार 3-86 करोड़ (21-5 प्रतिशत)
  कुल महिला मुखिया परिवारों की संख्या 0-69 करोड़ (3-9 प्रतिशत) है।
 ऐसे परिवारों की संख्या 65 लाख (3-6 प्रतिशत) है, जिसमें कोई भी 16 से 59 साल के बीच पुरुष नहीं है ।
 5 करोड़ (27-91 प्रतिशत) परिवारों के पास कोई फोन या मोबाइल नहीं है।
 10-52 लोग तलाकशुदा हैं ।
 1-80 लाख लोग हाथ से मैला साफ करने वाले हैं ।
 11 प्रतिशत परिवार में रेफ्रीजरेटर है। 4-6 प्रतिशत परिवार इनकम टैक्स भरते हैं।
 92 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की आय 10 हजार से कम है।
 तीन चौथाई परिवारों की आय 5000 या उससे कम है।
 9-2 करोड़ किसान है और 8-1 करोड़ खेत मजदूर है।  

  लगभग 79 प्रतिशत आदिवासी परिवार गरीब हैं73 प्रतिशत दलित परिवार गरीब हैं और अन्य 55 प्रतिशत परिवार गरीब हैं।


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